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प्रॉफिट बुकिंग के चलते घटा चांदी का इंपोर्ट



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इस साल की शुरुआत के बाद सिल्वर के दाम में काफी तेजी आई है। ऐसे में आम लोग घरों में पड़ी चांदी बेच रहे हैं। इससे सिल्वर के इंपोर्ट में कमी सकती है। पिछले साल सितंबर में चांदी की कीमत 36,000 रुपये किलो थी, जो अब 46,000 रुपये किलो हो गई है।
 
मुंबई बेस्ड ऋद्धिसिद्धि बुलियंस के डायरेक्टर मुकेश कोठारी ने बताया, 'लोग चांदी की बढ़ी कीमत का फायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए बाजार में पुरानी चांदी की सप्लाई बहुत बढ़ गई है।' उन्होंने बताया, 'हमें नहीं लगता कि आने वाले महीनों में चांदी के दाम में इस लेवल से बहुत अधिक तेजी आएगी। शहरी और ग्रामीण कंज्यूमर्स चांदी बेच रहे हैं।' उन्होंने बताया कि चांदी की सप्लाई तो बढ़ी है, लेकिन इसकी मांग में इजाफा नहीं हो रहा है। कोठारी ने कहा कि बैंकों के पास भी काफी चांदी पड़ी है।
रिसाइकल्ड सिल्वर की सप्लाई बढ़ने से चांदी का इंपोर्ट घट रहा है। जिन ट्रेडर्स ने पहले सिल्वर का इंपोर्ट किया था, वे अभी प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं। इससे इंपोर्ट में और कमी सकती है। भारत ने इस साल जनवरी से जुलाई के बीच 2,111 टन सिल्वर का इंपोर्ट किया था, जो इस दौरान पिछले साल के 4,362 टन का आधा है। पिछले साल भारत ने कुल 7,759 टन चांदी का आयात किया था।
 
इस बारे में बुलियन फेडरेशन के सेक्रेटरी हरीश आचार्या ने बताया, 'जिन ज्वैलर्स ने साल की शुरुआत में सिल्वर का स्टॉक तैयार किया था, वे इसे अभी रूरल इंडिया में नहीं बेच पा रहे हैं। इन लोगों ने बेहतर मॉनसून की उम्मीद पर चांदी का स्टॉक तैयार किया था। उन्हें लगा था कि अच्छी बारिश के बाद ग्रामीण इलाकों में चांदी की खरीदारी बढ़ेगी।' हालांकि, खरीफ फसल की कटाई के बाद चांदी की मांग बढ़ सकती है। इस सीजन की कटाई के अक्टूबर-नवंबर तक खत्म होने की उम्मीद है। आचार्या ने कहा, 'मार्केट में चांदी का काफी स्टॉक है। इसलिए हमें साल की दूसरी छमाही में इसका आयात बढ़ने के आसार नहीं दिख रहे हैं।'

इन हालात में सिल्वर का इंपोर्ट तभी बढ़ेगा, जब इसकी इंडस्ट्रियल मांग में इजाफा होगा। सिल्वर का इस्तेमाल बैटरी, एलईडी चिप्स, ग्लास कोटिंग, आरएफआईडी चिप्स, सेमीकंडक्टर्स और टच स्क्रीन में होता है। ग्लोबल लेवल पर आधी चांदी का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल कामकाज के लिए होता है। हालांकि, भारत में जितनी चांदी आती है, उसमें से 20 पर्सेंट का यूज ही इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज में होता है। दिलचस्प बात यह है कि ज्वैलर्स चांदी से बनाए गए मुनाफे से गोल्ड की खरीदारी की उम्मीद कर रहे हैं। उनका मानना है कि जिन लोगों ने चांदी बेची है, वे फेस्टिव और शादियों के सीजन में उसी पैसे से सोना खरीद सकते हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर गांव के एक ज्वैलर प्रभात अग्रवाल ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि जिन लोगों को सिल्वर बेचने से फायदा हुआ है, वे फेस्टिव सीजन में उससे सोना खरीदेंगे। खासतौर पर रूरल इंडिया में यह ट्रेंड दिख सकता है।' वहीं, इस साल गोल्ड की मांग 750-850 टन रहने की उम्मीद है। देश में सालाना जितना सोना आता है, उसमें से 60 पर्सेंट की खपत रूरल इंडिया में होती है।

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